Maharashtra: महाराष्ट्र में पिछले कुछ दिनों से चल रही राजनीतिक उथल-पुथल के बाद भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने जा रहे हैं। इस शपथ ग्रहण समारोह में महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के साथ एकनाथ शिंदे और अजित पवार उपमुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे।
यह समारोह आजाद मैदान, मुंबई में शाम 5:30 बजे आयोजित होगा। हालांकि, इस मौके पर मंत्रियों का शपथ ग्रहण नहीं होगा, और इसे बाद में आयोजित किया जा सकता है।
समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और कई केंद्रीय मंत्री तथा अन्य राज्यों के मुख्यमंत्री भी उपस्थित रहेंगे। इस शपथ ग्रहण के साथ महाराष्ट्र की राजनीति में एक नया अध्याय शुरू होने जा रहा है, जहां भाजपा और शिवसेना के गठबंधन की नई तस्वीर सामने आएगी।
देवेंद्र फडणवीस महाराष्ट्र के 18वें मुख्यमंत्री के रूप में तीसरी बार शपथ लेने जा रहे हैं। 54 वर्षीय फडणवीस का यह तीसरा कार्यकाल होगा।
फडणवीस ने पहली बार अक्टूबर 2014 में मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी, और उस समय वे महज 44 वर्ष की आयु में राज्य के सबसे युवा मुख्यमंत्री बने थे। उनका पहला कार्यकाल नवंबर 2019 तक चला।
फडणवीस का दूसरा कार्यकाल बहुत ही छोटा था— केवल 5 दिनों के लिए। नवंबर 2019 में शिवसेना के साथ गठबंधन टूटने के कारण भाजपा सरकार गिर गई, और फडणवीस को मुख्यमंत्री पद से हाथ धोना पड़ा। अब, भाजपा और शिवसेना के नए गठबंधन के तहत, फडणवीस तीसरी बार मुख्यमंत्री बन रहे हैं।
उनका यह तीसरा कार्यकाल महाराष्ट्र की राजनीति के लिए महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है, जहां भाजपा, शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट) और अजित पवार के नेतृत्व में महायुति सरकार का गठन हुआ है।
महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर चल रही खींचतान में एक और बड़ा पहलू सामने आया है। एकनाथ शिंदे उपमुख्यमंत्री बनने के लिए तैयार हो गए हैं, लेकिन उन्होंने गृह मंत्रालय की मांग को लेकर अपनी स्थिति स्पष्ट की है और इस पर अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है।
राज्यपाल को समर्थन पत्र सौंपने के बाद, देवेंद्र फडणवीस ने शिंदे के निवास ‘वर्षा’ पहुंचकर उनसे करीब 40 मिनट तक बातचीत की। इस बातचीत के दौरान, फडणवीस ने शिंदे को आश्वासन दिया कि वह इस विषय पर भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व से चर्चा करेंगे।
भा.ज.पा. का हाईकमान शिंदे को गृह मंत्रालय देने के बजाय उपमुख्यमंत्री के साथ शहरी विकास विभाग देने के पक्ष में है। ऐसे में शिंदे के गृह मंत्रालय की मांग पर कोई निर्णायक फैसला नहीं हो सका है, और यह मामला फिलहाल केंद्रीय नेतृत्व के हस्तक्षेप पर निर्भर है।
राजनीतिक हलचल के बीच यह देखना होगा कि शिंदे की इस मांग का क्या परिणाम निकलता है और महाराष्ट्र की नई सरकार का स्वरूप कैसे सामने आता है।
