फिल्म- द डिप्लोमैट
डायरेक्टर- शिवम नायर
एक्टर्स- जॉन अब्राहम, सादिया खतीब
कुमुद मिश्रा, शारिब हाशमी
रेटिंग- 3 स्टार
लोकेश चंद्रा
The Diplomat Movie Review: बॉलीवुड में जब भी देशभक्ति पर आधारित फिल्में बनती हैं, तो उनमें भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव को प्रमुखता दी जाती है। लेकिन निर्देशक शिवम नायर की द डिप्लोमेट इस ट्रेंड को तोड़ती है। यह फिल्म एक सच्ची घटना पर आधारित है, जिसमें भारतीय राजनयिक जेपी सिंह (जॉन अब्राहम) द्वारा पाकिस्तान में फंसी भारतीय महिला उज्मा अहमद (सादिया खतीब) को सुरक्षित स्वदेश वापस लाने की कहानी दिखाई गई है।
कहानी: एक रोमांचक राजनयिक मिशन
फिल्म की शुरुआत मलेशिया में रहने वाली उज्मा अहमद से होती है, जो अपनी बच्ची के इलाज के लिए संघर्ष कर रही है। इसी दौरान उसकी मुलाकात पाकिस्तानी नागरिक ताहिर (जगजीत संधू) से होती है, जो उसे शादी और मदद का झांसा देकर पाकिस्तान बुला लेता है। लेकिन खैबर इलाके में पहुंचते ही उज्मा को अहसास हो जाता है कि वह एक खतरनाक जाल में फंस चुकी है। वहां कई अन्य महिलाएं भी कैद हैं और शारीरिक व मानसिक शोषण का शिकार हो रही हैं। किसी तरह उज्मा भारतीय दूतावास पहुंचती है और डिप्टी हाई कमिश्नर जेपी सिंह से मदद की गुहार लगाती है। लेकिन ताहिर से शादी कर चुकी उज्मा को पाकिस्तान से वापस लाना आसान नहीं है।
जेपी सिंह और तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज (रेवती) की कोशिशों के बावजूद, यह मिशन एक राजनयिक संघर्ष में बदल जाता है। पाकिस्तान की अदालत, आईएसआई और राजनीतिक हालात इस रेस्क्यू ऑपरेशन को बेहद चुनौतीपूर्ण बना देते हैं। क्या जेपी सिंह अपने कूटनीतिक कौशल से उज्मा को वापस ला पाएंगे? यह जानने के लिए फिल्म देखनी होगी।
जॉन अब्राहम: दमदार परफॉर्मेंस में नया अवतार
अपने एक्शन हीरो की इमेज से अलग, जॉन अब्राहम ने यहां एक शांत, मगर प्रभावी राजनयिक की भूमिका निभाई है। उनका किरदार ओवर-द-टॉप नहीं, बल्कि रियलिस्टिक रखा गया है। खासकर उनका डायलॉग – “ये पाकिस्तान है, बेटा, यहां आदमी और घोड़ा सीढ़ी चाल नहीं चल सकता” – दर्शकों को खासा पसंद आ सकता है।
संगीत
संगीत की बात करें तो भारत, नैना और घर जैसे गाने फिल्म की भावनात्मक गहराई को उभारते हैं। फिल्म का क्लाइमैक्स प्रभावशाली है, जहां निर्देशक ने सुषमा स्वराज, उज्मा अहमद और जेपी सिंह के वास्तविक फुटेज को शामिल कर इसे अधिक विश्वसनीयता प्रदान की है।
सिनेमैटोग्राफी
डीनो पोपव की सिनेमैटोग्राफी विशेष रूप से प्रभावित करती है, जिन्होंने पाकिस्तान के खैबर इलाके की वीरानी और भयावहता को शानदार तरीके से अपने कैमरे में कैद किया है। हालांकि, कोर्टरूम के दृश्य और अधिक प्रभावी हो सकते थे।
निर्देशन और तकनीकी पक्ष
शिवम नायर, जो नाम शबाना और स्पेशल ऑप्स जैसी परियोजनाओं के लिए जाने जाते हैं, ने इस कहानी को संतुलित और वास्तविक बनाए रखने में सफलता पाई है। सिनेमैटोग्राफर डीनो पोपव ने पाकिस्तान के खैबर इलाके की भयावहता को खूबसूरती से कैप्चर किया है, जबकि कुणाल वाल्वे की एडिटिंग फिल्म को तेज़ गति देती है। रितेश शाह के संवाद फिल्म को गंभीरता के बावजूद हल्के-फुल्के पल प्रदान करते हैं।
हालांकि, कोर्टरूम ड्रामा को और प्रभावी बनाया जा सकता था। फिल्म के गीत भारत, नैना और घर इसकी थीम के अनुरूप हैं, जबकि क्लाइमैक्स में वास्तविक फुटेज का उपयोग विश्वसनीयता बढ़ाता है।
क्यों देखें?
अगर आप सच्ची घटनाओं पर आधारित थ्रिलर और जॉन अब्राहम के नए अवतार को देखना चाहते हैं, तो द डिप्लोमेट एक बेहतरीन फिल्म हो सकती है।
